विवाह पंचमी: जानें पूजा विधि
कहते
हैं जोड़ी हो तो राम
और सीता जैसी हो। राम एक आदर्श पुरुष
माने जाते हैं तो सीता उनकी
संगिनी के रूप में।
आज भी मां-बाप
जब अपने बच्चों के लिए शादी
के रिश्ते देखते हैं तो राम और
सीता जैसे लड़के व लड़की को
ही ढूंढते हैं। इस राम और
सीता की जोड़ी के
विवाह उत्सव को भारत में
विवाह पंचमी के नाम से
मनाया जाता है।
यह
त्योहार अगहन मास के शुक्ल पक्ष
की पंचमी को मनाया जाता
है। और यह भी
कहा जाता है कि इसी
दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित
मानस का लेखन भी
पूरा किया था। तुलसीदासजी कहते हैं कि 'श्रीराम ने विवाह द्वारा
मन के तीनों विकारों
काम, क्रोध और लोभ से
उत्पन्न समस्याओं का समाधान प्रस्तुत
किया गया है।'
माता
सीता मिथिला नरेश राजा जनक की पुत्री थी।
इसी वजह से इस दिन
को मिथिला वासी बड़े धूमधाम से मनाते हैं।
इस दिन सभी मंदिरों को दुल्हन की
तरह सजाया जाता है। मिथिला और नेपाल जैसे
राज्यों में इस दिन भगवान
राम से जुड़े सभी
मंदिरों को अच्छे से
सजाया जाता है। और इस दिन
को राम व सीता की
सालगिरह के रूप में
भी मनाते हैं।
DOWNLOAD Rashifal 2018 - Android Apps on Google Play
हिंदू
ग्रंथ रामायण के अनुसार राजा
जनक की बेटी सीता
का स्वयंवर हुआ और उस स्वयंवर
में राज्य के अनेक सुंदर
व बलवान राजा आए। लेकिन सीता से वही पुरुष
विवाह कर सकता था
जो उस धनुष को
उठा पाए। सभी राजाओं ने कोशिश की
पर किसी से वह धनुष
उठा क्या हिला तक नहीं।
तब
राम ने धनुष पर
प्रत्यंचा चढ़ाने का प्रयास किया
और वह टूट गया।
इस विजय के साथ दोनों
की शादी हो गई। आज
भी इस दिन को
हम सभी राम सीता की सालगिराह व
विवाह पंचमी के रूप में
मनाते हैं।
यह भी पढ़ें: जिनकी कलाई पर हों ऐसी रेखाएं, इनके भाग्य का कोई नहीं कर सकता मुकाबला
इस
दिन भक्तजन भगवान राम और माता सीता
की पूजा करते हैं। नेपाल जैसे राज्यों में विवाह पंचमी पर विशेष पूजा
आयोजित की जाती है।
विवाह पंचमी पूजा के लिए हमें
सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिये। उसके बाद नए वस्त्र पहनकर
पूजा की चौकी तैयार
करें। इस चौकी पर
एक कपड़ा बिछाकर पूजा की सामग्री रखें।
यह भी पढ़ें; अगली बार जब भी किसी किन्नर को कुछ दान दें, ध्यान रखेंकि ये चीजें इनमें ना हों
इसके
बाद राम और सीता की
मूर्तियां स्थापित कर कर उन्हें
दूल्हे और दुल्हन की
तरह तैयार करें। फिर फल, फूल व अन्य पूजा
सामग्री के साथ दोनों
देवताओं की पूजा अराधना
करें। जो भक्त घर
में पूजा नहीं करना चाहते हैं वे मंदिर में
जाकर भी कर सकते
हैं।
यह भी पढ़ें; भाग्य को दोष देने से अच्छा है कि बस एक बार कर लें 5 रु का ये उपाय, जाग जाएगा सोया हुआ भाग्य
इस
विवाह पंचमी में भक्ती के गीत व
मंत्रों का उच्चारण किया
जाता है। कुछ मंत्र यह हैं जैसे
‘ओम दरसथाय विधमाहे, सीता वल्लभाया धिमाही तन्नो राम प्रचोदयात’ और ओम जनक
नदिनाय विधमाहे, भूमि जय धिमाही तन्नो
सीता प्रचोदयात।
यह भी पढ़ें;आपके मुंह में दांतों की संख्या बताती है कैसा होगा आपका भविष्य
इस
दिन मंदिरों को खूब अच्छे
से सजाया जाता है। इस भगवान राम
की बारात एक मंदिर से
दूसरे मंदिर में ले जाई जाती
है। और यह बारात
ले जाना अयोध्या से जनकपुर की
ओर होता है। इस दिन भक्त
भगवान राम का आशीर्वाद लेने
के लिए उनके भजन व गीत गाते
हैं। एक प्रसिद्ध गीत
हरि अनंत, हरि कथा अनंत, मंगल भवन अमंगल हरि आदि भजन गाये जाते हैं।
No comments:
Post a Comment